BJP सांसद ने केंद्र से 4 बंगाल जिलों को AFSPA के तहत 'दंगाग्रस्त क्षेत्र' घोषित करने की अपील की13 Apr 25

BJP सांसद ने केंद्र से 4 बंगाल जिलों को AFSPA के तहत 'दंगाग्रस्त क्षेत्र' घोषित करने की अपील की

13 अप्रैल 2025 (UNA) : पुरुलिया (पश्चिम बंगाल): बीजेपी के पुरुलिया से सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल के कुछ सीमावर्ती जिलों को आर्म्ड फोर्सेस (स्पेशल पावर्स) एक्ट (AFSPA) के तहत "दंगाग्रस्त क्षेत्र" घोषित करने की अपील की है। महतो का आरोप है कि इन जिलों में हिंदू समुदाय पर बार-बार हमले हो रहे हैं और राज्य सरकार इस पर आंख मूंदे हुए है, जो कि टीएमसी की "संतुष्टि" राजनीति का परिणाम है।

13 अप्रैल को लिखे गए पत्र में महतो ने आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद, मालदा, नादिया और दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा हुई है, और राज्य प्रशासन ने इस पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि ये घटनाएँ टीएमसी के शासन में "संतुष्टि राजनीति" के कारण हो रही हैं।

महतो ने यह भी दावा किया कि हाल ही में मुर्शिदाबाद जिले में 86 से अधिक हिंदू घरों और दुकानों को लूट लिया गया या नष्ट कर दिया गया। इसके अलावा, एक व्यक्ति हर्गोबिंदो दास और उनके बेटे की हत्या करने का भी आरोप उन्होंने लगाया। महतो ने झाऊबोना गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पान के बागानों को आग लगा दी गई, जिसे उन्होंने "लक्ष्यित आर्थिक सबोटाज" के रूप में वर्णित किया।

महतो ने यह भी कहा कि यह घटनाएँ अकेले नहीं हैं, बल्कि सीमावर्ती जिलों में समान अशांति फैल चुकी है, जिसके कारण हिंदू समुदाय को "निराधार और असहाय" बना दिया गया है।

यह पत्र और आरोप पश्चिम बंगाल में बढ़ती धार्मिक हिंसा और राज्य सरकार की निष्क्रियता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं, जिससे इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक विवाद और भी तेज हो सकता है। - UNA

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राजस्थान के रणथम्भोर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 7 साल का बच्चा अपने परिवार के साथ रणथम्भोर मंदिर में पूजा करने गया था। पूजा के दौरान, अचानक एक बाघ ने उस पर हमला कर लिया और उसे खा गया। यह घटना परिवार के लिए एक भारी सदमा बनी हुई है। घटना के बाद पुलिस और वन विभाग की टीम ने शव का पोस्टमॉर्टम कराया और सभी कानूनी प्रक्रियाओं के बाद शव को परिवार के हवाले कर दिया। यह घटना वन्यजीवों और मानवों के बीच बढ़ते संघर्ष को उजागर करती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बाघ और अन्य जंगली जानवरों की संख्या अधिक है। इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और वन विभाग द्वारा सुरक्षा उपायों को लेकर सवाल उठ रहे हैं।