
"PM मोदी और एलन मस्क की बातचीत: भारत-अमेरिका सहयोग को नई दिशा देने की संभावनाएं"
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण बातचीत हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका के बीच प्रौद्योगिकी और नवाचार में सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा की। इस बैठक में भारत के विकास और वैश्विक साझेदारियों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को फिर से रेखांकित किया गया। दोनों नेताओं ने भारत में नवीनीकरण, ऊर्जा, और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्र में संभावित सहयोग को लेकर सकारात्मक चर्चा की, जिससे भविष्य में नए व्यापारिक अवसरों और प्रौद्योगिकी निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह बातचीत भारतीय बाजार में वैश्विक कंपनियों के लिए नए रास्ते खोलने और भारतीय तकनीकी उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
Read moreMore news

चीन के आपूर्तिकर्ताओं का ट्रंप के टैरिफ का मजाक, TikTok पर Nike और Lululemon के सौदों के साथ
हाल ही में, चीन के आपूर्तिकर्ताओं ने ट्रंप के टैरिफ नीति का मजाक उड़ाया है, खासकर Nike और Lululemon जैसे प्रमुख ब्रांड्स के सौदों के माध्यम से जो TikTok पर वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में दिखाया गया है कि किस तरह चीन से आए उत्पाद अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए रचनात्मक तरीके अपना रहे हैं। इस प्रकार के वीडियो की भारी संख्या और उनके समान विषय ने यह संकेत दिया है कि यह एक लोकप्रिय प्रतिक्रिया हो सकती है, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए 145% के टैरिफ के खिलाफ उठ रही है। इन वीडियो में चीन के व्यापारियों ने अमेरिकी टैरिफ को चुनौती देते हुए आकर्षक सौदों और कम कीमतों का प्रचार किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये टैरिफ चीनी आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने के बजाय, अपने उत्पादों को अमेरिकी बाजार में नई रणनीतियों से पेश कर रहे हैं। यह दिखाता है कि व्यापारिक रणनीतियां और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे कि TikTok, व्यापारियों के लिए एक नया मैदान बन गए हैं, जहां वे टैरिफ और शुल्कों के बावजूद अपनी उपभोक्ता पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

ईरान को ट्रंप की कड़ी चेतावनी: परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर मिलेगी ‘बहुत सख्त’ प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को उसकी परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर एक बार फिर सख्त चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा कि यदि ईरान ने जल्द ही अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद नहीं किया, तो उसे एक "बहुत सख्त सैन्य कार्रवाई" का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने दो टूक कहा कि अमेरिका किसी भी सूरत में ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की इजाज़त नहीं देगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरानी शासन को "कट्टरपंथी और खतरनाक" करार देते हुए कहा कि उसका रवैया पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान के खिलाफ कार्रवाई का विकल्प अब भी मेज़ पर है, और अमेरिका इस मुद्दे पर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगा। यह चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब पश्चिमी देशों को संदेह है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से गति दे रहा है, जिससे मध्य पूर्व में तनाव और अधिक बढ़ सकता है। ट्रंप का यह बयान इस पूरे मसले पर अमेरिका की आक्रामक नीति को दर्शाता है, और आने वाले दिनों में इस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है।

"यूक्रेन युद्ध ‘बाइडन की लड़ाई’ है, मेरी नहीं: ट्रंप का बड़ा बयान"
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यूक्रेन युद्ध को लेकर वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन पर सीधा हमला बोला है। ट्रंप ने कहा कि अगर वह सत्ता में होते, तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। उन्होंने इस संघर्ष को "बाइडन की लड़ाई, मेरी नहीं" करार दिया और कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को रोकने के कई तरीके थे, लेकिन मौजूदा नेतृत्व ने "बेहद खराब तरीके से" इसे संभाला। ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की भी आलोचना की और कहा कि उन्होंने भी इस स्थिति को रोकने में असफलता दिखाई। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका में चुनावी माहौल गर्म हो रहा है और विदेश नीति एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। ट्रंप की यह टिप्पणी न केवल बाइडन प्रशासन की आलोचना है, बल्कि उनके नेतृत्व के ‘शक्तिशाली और निर्णायक’ होने के दावे को भी दोहराने का प्रयास है।

"चीन की व्यापारिक चुनौतियाँ: शी जिनपिंग के दक्षिण-पूर्व एशिया दौरे से क्या संकेत मिलते हैं?"
चीन इन दिनों व्यापारिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, विशेष रूप से अमेरिका और अन्य देशों से टैरिफ (शुल्क) की समस्याओं के बीच। ऐसे समय में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग का दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा चीन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना और चीन के लिए नए बाजारों के द्वार खोलना है। शी जिनपिंग की यात्रा से चीन का संकेत है कि वह अपनी वैश्विक व्यापार नीति को फिर से दिशा देने के लिए तैयार है, और यह कदम अमेरिका के बढ़ते व्यापारिक दबाव के बीच रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ चीन के संबंधों को नया आयाम देने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे चीन इन देशों के साथ और अधिक सशक्त आर्थिक साझेदारी स्थापित कर सके। यह यात्रा सिर्फ व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि चीन की विदेश नीति और क्षेत्रीय प्रभाव को भी सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम कदम है। शी जिनपिंग के इस दौरे से व्यापारिक तनावों के बीच चीन को नई राह मिल सकती है और दक्षिण-पूर्व एशिया में उसकी स्थिति को भी मजबूत किया जा सकता है।

ट्रम्प की चेतावनी: इलेक्ट्रॉनिक सामान पर फिर से लग सकते हैं भारी टैरिफ, अस्थायी छूट के बाद बाजार में हलचल
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार देर रात एक अहम घोषणा में इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर लगाए जाने वाले भारी टैरिफ से अस्थायी राहत तो दी, लेकिन साथ ही साफ कर दिया कि ये छूट स्थायी नहीं है। चीन से आयात किए जाने वाले कई लोकप्रिय इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को 125% के टैरिफ से और अन्य देशों से आने वाले सामानों को 10% के वैश्विक टैक्स से फिलहाल छूट दी गई है। मगर ट्रम्प का कहना है कि यह केवल एक "अस्थायी राहत" है, जो उनके दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है — जल्द ही इस सेक्टर पर एक अलग और विशिष्ट शुल्क लागू किया जाएगा। इस ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार और टेक उद्योग में हलचल मच गई है, क्योंकि इससे कीमतों पर बड़ा असर पड़ सकता है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है।

चीन ने अमेरिका से 'प्रतिशोधात्मक टैरिफ' हटाने की अपील की, इलेक्ट्रॉनिक्स पर छूट के बाद बढ़ी उम्मीदें
चीन ने अमेरिका से अपील की है कि वह व्यापार युद्ध के तहत लगाए गए 'प्रतिशोधात्मक टैरिफ' को समाप्त करे, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार हो सके। यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर टैरिफ से छूट देने का ऐलान किया है। बीजिंग का मानना है कि यह कदम एक सकारात्मक संकेत है और अमेरिका को अब पूरी तरह से इन टैरिफों को खत्म कर देना चाहिए ताकि वैश्विक सप्लाई चेन पर बने दबाव को कम किया जा सके और द्विपक्षीय व्यापार में स्थिरता लाई जा सके। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि टैरिफ से व्यापार में असंतुलन पैदा हुआ है और यह समय है कि अमेरिका ठोस कदम उठाए। व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह विकास दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक तनाव को कम करने की दिशा में एक संभावित शुरुआत हो सकता है।