
"दिल्ली सरकार का बड़ा कदम: 70 साल और उससे ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए 'आयुष्मान कार्ड' लॉन्च"
दिल्ली सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजना की घोषणा की है, जिसके तहत 70 साल और उससे ऊपर के लोगों को आयुष्मान कार्ड प्रदान किए जाएंगे। यह पहल आयुष्मान भारत योजना के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य वृद्धजन समुदाय को बेहतर स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करना है। इस योजना के तहत, इन वरिष्ठ नागरिकों को ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा, जिससे उन्हें गंभीर बीमारियों का इलाज करवाने में आर्थिक मदद मिल सकेगी। दिल्ली सरकार की यह योजना राजधानी के वृद्ध जनसंख्या के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को और आसान बनाएगी। यह कदम स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी समर्थन को मजबूत करने और वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर साधा निशाना, बंगाल और असम में Waqf कानून को लेकर हिंसा के बीच बयान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने Waqf कानून के खिलाफ हो रही हिंसा और विरोधों के बीच विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस कानून के खिलाफ उन्माद और हिंसा भड़काने का प्रयास कर रहा है। उनका आरोप है कि कुछ ताकतें जानबूझकर समाज में उथल-पुथल मचाने के लिए इस मुद्दे को हवा दे रही हैं। मध्यमार्गी विपक्षी दलों और उनके समर्थकों ने Waqf Act को लेकर विभिन्न राज्यों में विरोध प्रदर्शन किए हैं, खासकर बंगाल और असम में। इन प्रदर्शनों में ताजा हिंसा का सिलसिला मुरशिदाबाद में देखने को मिला, जहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष में कम से कम तीन लोग, जिनमें एक पिता और उसका बेटा भी शामिल थे, मारे गए। इसके अलावा कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। योगी आदित्यनाथ ने इसे विपक्ष की विभाजनकारी राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि ऐसे हिंसक प्रदर्शन समाज की एकता और शांति के लिए खतरा बन सकते हैं।

"कर्नाटका जाति सर्वे ने 85% आरक्षण की सिफारिश की, OBCs के लिए बड़ा इजाफा और नए वर्गों का निर्माण"
कर्नाटका राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए जाति सर्वेक्षण में एक अहम सिफारिश की गई है, जो राज्य के आरक्षण नीति में बड़े बदलाव की ओर इशारा करती है। सर्वेक्षण ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs) के लिए आरक्षण को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। इसका मतलब है कि राज्य में कुल आरक्षण 85 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा, जो राज्य के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस प्रस्ताव में OBCs के लिए आरक्षण में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ-साथ नए जाति वर्गों को भी आरक्षण की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को समान अवसर प्रदान करना और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है। राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम कर्नाटका में विभिन्न जाति और समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। हालांकि, इस फैसले पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया मिलनी शुरू हो गई है। समर्थकों का कहना है कि इससे पिछड़े वर्गों को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलेंगे, वहीं विरोधियों का मानना है कि यह अन्य वर्गों के अधिकारों का हनन कर सकता है। आने वाले समय में इस प्रस्ताव को लेकर चर्चा और कानूनी प्रक्रिया तेज हो सकती है, क्योंकि इससे राज्य के आरक्षण सिस्टम में एक बड़ा बदलाव आएगा।

पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम लागू नहीं होगा: ममता बनर्जी का बड़ा ऐलान
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वक्फ (संशोधन) अधिनियम राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस कानून से स्पष्ट दूरी बनाते हुए कहा कि इसे केंद्र ने बनाया है, और इसके जवाब भी वही दे। ममता बनर्जी का यह बयान उस समय आया है जब देश के कई हिस्सों में इस कानून को लेकर राजनीतिक बहस तेज़ है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने दो टूक कहा, "यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है, राज्य का इससे कोई लेना-देना नहीं है। जो लोग सवाल पूछ रहे हैं, उन्हें केंद्र से जवाब मांगना चाहिए।" ममता बनर्जी के इस रुख को राज्य की राजनीति में एक साहसिक कदम माना जा रहा है, खासकर उस समय जब कई विपक्षी दल केंद्र पर कानूनों को थोपने का आरोप लगा रहे हैं।

नेपाल में राजशाही के लिए बढ़ती लालसा: क्या पीछे लौटना सही रास्ता है?
नेपाल में हाल ही में राजशाही की वापसी की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन एक गहरी राजनीतिक और सामाजिक बेचैनी को दर्शाते हैं। इन प्रदर्शनों की जड़ें वर्तमान शासन व्यवस्था से उपजी निराशा में हैं — सरकार की असफलताएं, जवाबदेही की कमी और विकास की धीमी गति ने जनता को हताश किया है। लेकिन यह मान लेना कि राजशाही ही इन समस्याओं का हल है, एक गलतफहमी से कम नहीं। साल 2015 में जब नेपाल ने नया संविधान अपनाया था, तब से लेकर अब तक देश ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति की है — चाहे वो लोकतांत्रिक संस्थाओं का निर्माण हो, सामाजिक समावेशन या बुनियादी ढांचे में सुधार। इन उपलब्धियों को नज़रअंदाज़ करना, और अतीत की एक ऐसी व्यवस्था की ओर लौटना, जिसमें सत्ता केंद्रित और उत्तरदायित्व विहीन थी, शायद मौजूदा चुनौतियों का समाधान नहीं हो सकता। नेपाल को अगर आगे बढ़ना है, तो उसकी राह वर्तमान लोकतांत्रिक प्रणाली को सशक्त करने और उसमें सुधार लाने से ही होकर जाएगी — न कि एक ऐसे अतीत की ओर लौटने से, जिसे हमने ठोस कारणों से छोड़ा था।

वाराणसी से PM मोदी का विपक्ष पर वार: 'परिवारवाद की राजनीति' पर कांग्रेस-सपा को घेरा, पूर्वांचल के विकास को बताया प्राथमिकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला है। एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर आरोप लगाया कि ये पार्टियाँ केवल "परिवारवाद" की राजनीति को बढ़ावा देती हैं, जबकि भाजपा का उद्देश्य जनता का विकास और राष्ट्र निर्माण है। मोदी ने अपने भाषण में पूर्वांचल के विकास कार्यों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा जैसे बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने बताया कि वाराणसी और पूर्वांचल क्षेत्र में कई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, जिनका लाभ आने वाले वर्षों में सीधे आम जनता को मिलेगा। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर अपने प्रमुख सिद्धांत "सबका साथ, सबका विकास" को दोहराया और कहा कि यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि उनकी सरकार की कार्यशैली और नीति का मूल है। यह दौरा राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं और भाजपा अपने गढ़ को और मज़बूत करने में जुटी है।

तमिलनाडु चुनाव 2026: AIADMK और BJP फिर साथ आए, गठबंधन का नेतृत्व करेंगे EPS
तमिलनाडु की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। दो साल के ब्रेक के बाद AIADMK और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर हाथ मिला लिया है। यह ऐलान खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया, जिससे 2026 विधानसभा चुनावों की सियासी तस्वीर अब और दिलचस्प होती जा रही है। अमित शाह ने साफ किया कि BJP, AIADMK के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देगी, और इस गठबंधन का नेतृत्व एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (EPS) करेंगे। यह कदम राज्य में सत्तारूढ़ DMK को चुनौती देने के इरादे से उठाया गया है। इस नए गठबंधन को तमिलनाडु की राजनीति में एक मजबूत विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, जहां BJP अपनी रणनीतिक ताकत और राष्ट्रीय स्तर की पकड़ को AIADMK के स्थानीय जनाधार के साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से दोनों दलों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण थे, लेकिन अब 2026 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए दोनों दल फिर से एक मंच पर आ गए हैं।