नई दिल्ली, (UNA) : मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के लिए "रिपेयरबिलिटी इंडेक्स (Repairability Index)" रूपरेखा तैयार करने के लिए गठित समिति ने उपभोक्ता मामले विभाग (DoCA) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए मरम्मत की सुविधा और पारदर्शिता बढ़ाना है, जिससे एक जिम्मेदार, टिकाऊ और उपभोक्ता-अनुकूल बाज़ार का निर्माण हो सके।
रिपेयरबिलिटी इंडेक्स एक स्कोरिंग सिस्टम है जो किसी उत्पाद — विशेष रूप से स्मार्टफोन और टैबलेट — की मरम्मत में आसानी को दर्शाता है। यह इंडेक्स उपभोक्ताओं को यह समझने में मदद करेगा कि किसी डिवाइस को कितना आसानी से और कितनी लागत में मरम्मत किया जा सकता है।
समिति की सिफारिशें:
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समिति की अध्यक्षता श्री भरत खेरा, अतिरिक्त सचिव, DoCA ने की।
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स्व-घोषणा प्रणाली (self-declaration) की सिफारिश की गई है, जिसमें सभी Original Equipment Manufacturers (OEMs) खुद ही एक मानकीकृत स्कोरिंग सिस्टम के अनुसार अपने उत्पाद की मरम्मत योग्यता का आकलन करेंगे।
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यह प्रणाली वैश्विक मानकों से मेल खाती है और इससे व्यापार में बाधा नहीं आएगी।
रिपेयरबिलिटी इंडेक्स कैसे दिखेगा?
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यह इंडेक्स दुकान पर, ई-कॉमर्स वेबसाइट पर और उत्पाद की पैकेजिंग पर एक क्यूआर कोड के माध्यम से स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाएगा।
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उपभोक्ता खरीदने से पहले इंडेक्स देख सकेंगे और यह तय कर सकेंगे कि कौन-सा डिवाइस उनके लिए मरम्मत के लिहाज़ से बेहतर है।
उपभोक्ता हित में क्यों है यह कदम?
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राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) के आंकड़ों के अनुसार, मोबाइल और टैबलेट की मरम्मत से जुड़ी शिकायतें 2022-23 में 19,057 थीं, जो 2024-25 में बढ़कर 22,864 हो गई हैं।
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यह बढ़ती शिकायतें स्पष्ट करती हैं कि मरम्मत संबंधी पारदर्शिता और पहुंच में सुधार की जरूरत है।
उपभोक्ता मामले विभाग का मानना है कि रिपेयरबिलिटी इंडेक्स से "सोच-समझकर उपयोग" (mindful utilization) की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा। इससे उपभोक्ता डिवाइस को जल्दी बदलने के बजाय मरम्मत करवाने को प्राथमिकता देंगे, जो टिकाऊ अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आगे की दिशा:
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यह फ्रेमवर्क फिलहाल स्मार्टफोन और टैबलेट पर लागू होगा।
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भविष्य में इसे लैपटॉप, स्मार्टवॉच, होम इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अन्य उत्पादों तक विस्तार देने की योजना है। - UNA
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