TCS के CEO कृतिवासन को उम्मीद – जल्द सुलझेगा टैरिफ को लेकर बना असमंजस, 2030 तक 50 अरब डॉलर का लक्ष्य अब भी संभव14 Apr 25

TCS के CEO कृतिवासन को उम्मीद – जल्द सुलझेगा टैरिफ को लेकर बना असमंजस, 2030 तक 50 अरब डॉलर का लक्ष्य अब भी संभव

14 अप्रैल 2025 (UNA) : टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के. कृतिवासन का मानना है कि यदि कंपनी जल्द ही दो अंकों की विकास दर (Double Digit Growth) पर लौट आती है, तो 2030 के अंत तक 50 अरब डॉलर की आय (Revenue) का लक्ष्य अब भी पूरी तरह से हासिल किया जा सकता है।

Business Standard को दिए एक साक्षात्कार में कृतिवासन ने स्पष्ट किया कि पूर्व CEO राजेश गोपीनाथन ने कभी इस लक्ष्य के लिए कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की थी, लेकिन यह लक्ष्य आज भी “संभावना” के दायरे में है। उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत 'आकांक्षी लक्ष्य' है, और वह इसी सोच के साथ काम करना पसंद करेंगे कि कंपनी की ग्रोथ आने वाले समय में बेहतर होगी।

कृतिवासन ने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2026 (FY26) कंपनी के लिए FY25 की तुलना में ज्यादा बेहतर रहेगा। इस आशावाद की वजह FY25 में साइन हुए कुल 39.4 अरब डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट्स हैं, जिनसे कंपनी को मजबूती मिली है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कंपनी की निरंतर बढ़ती पकड़ भी भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

TCS, जो टाटा समूह की फ्लैगशिप IT कंपनी है, अब अगले चरण की विकास यात्रा के लिए तैयार दिख रही है। CEO ने यह भी संकेत दिया कि कंपनी नवाचार और ग्राहकों के लिए मूल्य निर्माण को केंद्र में रखकर अपने विकास की गति को फिर से तेज करना चाहती है।TCS के नेतृत्व में कृतिवासन का यह आत्मविश्वास बताता है कि कंपनी न केवल चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है, बल्कि दीर्घकालिक लक्ष्यों की दिशा में ठोस रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रही है। अगर आने वाले वर्षों में कंपनी दो अंकों की विकास दर फिर से हासिल कर लेती है, तो 2030 तक 50 अरब डॉलर की आय का सपना साकार हो सकता है। - UNA

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अमेरिकी अदालत ने गूगल को दोषी ठहराया है कि उसने अपनी शक्ति का गलत उपयोग करते हुए ऑनलाइन विज्ञापन बाजार पर एकाधिकार जमा लिया था। अदालत का कहना है कि गूगल ने अपने विज्ञापन टूल्स को इस तरह से संयोजित किया कि यह प्रकाशकों को दोनों टूल्स को एक साथ उपयोग करने के लिए मजबूर करता था। इसने अन्य कंपनियों के लिए विज्ञापन टेक्नोलॉजी (Ad Tech) बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन बना दिया, जिससे गूगल को एक अवैध लाभ मिला। इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि गूगल ने अपनी स्थिति का गलत इस्तेमाल करते हुए, यह तय किया कि कौन से विज्ञापन दिखाए जाएं और प्रकाशकों को कितना पैसा मिले। अदालत का यह निर्णय गूगल के विज्ञापन कारोबार पर एक बड़ा सवाल उठाता है, और अब यह देखा जाएगा कि इसके बाद गूगल पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या कंपनी को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ेगा। इस मामले में अदालत का निर्णय भविष्य में विज्ञापन तकनीकी क्षेत्र में नियमों और प्रतिस्पर्धा के दृष्टिकोण से अहम साबित हो सकता है।