19 फरवरी, 2025 (UNA) : अमेरिका में चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स पर 10% टैरिफ लगाने का फैसला अब टेक कंपनियों और ग्राहकों के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है। ट्रम्प प्रशासन के इस कदम का सीधा असर स्मार्टफोन, लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और सेमीकंडक्टर चिप्स जैसी चीजों पर पड़ेगा, जिससे कीमतों में उछाल आने की संभावना है।
कीमतें बढ़ेंगी
टेक कंपनियां इस टैरिफ के असर से बचने के लिए कीमतें बढ़ाने पर मजबूर हो सकती हैं। एसर जैसी कंपनियों ने पहले ही संकेत दिए हैं कि लैपटॉप की कीमतों में 10% तक बढ़ोतरी हो सकती है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई लैपटॉप अभी 50,000 रुपये का मिल रहा है, तो उसकी कीमत 55,000 रुपये तक पहुंच सकती है।
चीन से उत्पादन शिफ्ट करने की तैयारी
बड़ी टेक कंपनियां अब चीन से बाहर निकलने और दूसरे देशों में मैन्युफैक्चरिंग सेटअप लगाने पर विचार कर रही हैं। इससे सप्लाई चेन में बदलाव आ सकता है और उत्पादन लागत भी प्रभावित हो सकती है।
उपभोक्ताओं की जेब पर असर
कंज्यूमर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन का अनुमान है कि इस टैरिफ की वजह से अमेरिकी उपभोक्ताओं को कुल 143 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। इसके चलते लैपटॉप और टैबलेट की बिक्री में 68% तक गिरावट देखने को मिल सकती है, क्योंकि महंगे दामों के कारण लोग नए डिवाइस खरीदने से बच सकते हैं।
चिप इंडस्ट्री पर बड़ा खतरा
अगर टैरिफ सेमीकंडक्टर चिप्स पर भी लागू होता है, तो गूगल, अमेज़न और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के लिए AI और क्लाउड कंप्यूटिंग में निवेश महंगा पड़ सकता है। इससे टेक इंडस्ट्री के इनोवेशन पर भी असर पड़ सकता है और कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर, इस टैरिफ का असर सिर्फ कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह गैजेट्स की कीमतें बढ़ाकर उपभोक्ताओं की जेब पर भी भारी पड़ने वाला है। कुछ कंपनियां शुरुआत में इस बढ़ती लागत को खुद झेल सकती हैं, लेकिन लंबे समय में इसका असर हर किसी को देखने को मिलेगा। - UNA