संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क (UNA) : – भारत ने पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में जमकर लताड़ा, पाकिस्तान को "दुष्ट राष्ट्र" करार देते हुए क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया। यह कड़ी आलोचना जम्मू और कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए हालिया हमले के बाद की गई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद निरोधी सत्र के दौरान पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के आरोपों को प्रमुखता से उठाया।
हालाँकि, भारतीय प्रतिनिधि ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराने से परहेज किया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि भारत इस हमले को पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद की एक बड़ी कड़ी मानता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा प्रस्तुत वक्तव्य में पाकिस्तान के इतिहासिक आतंकवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता का उल्लेख किया गया।
"दुनिया भलीभांति जानती है कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला राज्य हमारे सीमाओं के पार है," भारतीय प्रतिनिधि ने कहा, इस दौरान पाकिस्तान की कथित सुरक्षित पनाहगाहों और प्रशिक्षण शिविरों का उल्लेख करते हुए। "यह दुष्ट राष्ट्र विभिन्न आतंकवादी संगठनों को समर्थन देकर क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है।"
पहलगाम में हुआ हमला [यहां हमले का संक्षिप्त विवरण डालें, जैसे कि "इस हफ्ते पहले हुआ था, जिसमें [संख्या] लोग हताहत हुए" ] ने पहले से ही तनावपूर्ण भारत-पाकिस्तान रिश्तों को और खराब कर दिया है। भारत ने लगातार यह रुख अपनाया है कि संवाद तभी शुरू हो सकता है जब पाकिस्तान सीमा के भीतर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ दृढ़ और सत्यापित कार्रवाई करे।
पाकिस्तान से अपेक्षित है कि वह बाद में भारतीय आरोपों का जवाब दे। पाकिस्तान ने पहले भी आतंकवाद के समर्थन के आरोपों को सख्ती से नकारा है, और यह दावा किया है कि वह खुद आतंकवाद का शिकार है और कट्टरपंथी समूहों के खिलाफ सक्रिय रूप से संघर्ष कर रहा है।
भारत का यह संबोधन संयुक्त राष्ट्र में सीमा पार आतंकवाद और उग्रवादी विचारधाराओं के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय निगरानी के बीच हुआ है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को उसके आतंकवाद फैलाने के आरोपों के लिए जिम्मेदार ठहराने और आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र में लगाए गए ये आरोप भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा सकते हैं, जिससे द्विपक्षीय संवाद की पुनः शुरुआत और भी कठिन हो जाएगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय बारीकी से इन घटनाक्रमों को देख रहा है, उम्मीद करते हुए कि तनाव में कमी आए और दोनों पक्ष क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्राथमिकता देने का संकल्प लें। - UNA