"निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की टिप्पणियों से बीजेपी ने बनाई दूरी, कहा- ‘ना समर्थन, ना सहमति’"20 Apr 25

"निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की टिप्पणियों से बीजेपी ने बनाई दूरी, कहा- ‘ना समर्थन, ना सहमति’"

20 अप्रैल 2025 (UNA) : शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर दिए गए बयानों को पूरी तरह से खारिज करते हुए खुद को इनसे अलग कर लिया। पार्टी ने स्पष्ट किया कि ये बयान उनके व्यक्तिगत विचार हैं और पार्टी का इनसे कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही दोनों नेताओं को भविष्य में ऐसे बयान देने से बचने की सख्त हिदायत दी गई है।

क्या कहा था निशिकांत दुबे ने?

शनिवार को मीडिया से बातचीत में निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि देश में "धार्मिक युद्ध भड़काने" के लिए सुप्रीम कोर्ट ज़िम्मेदार है। दुबे ने कहा,

“अगर देश में हर कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की एक ही नीति है — ‘चेहरा दिखाओ, कानून बनवाओ’। कोर्ट अपनी सीमाएं पार कर रहा है। अगर हर चीज़ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े, तो संसद और विधानसभा का क्या मतलब?”

इतना ही नहीं, दुबे ने सीधे तौर पर CJI संजीव खन्ना को निशाने पर लेते हुए कहा,

“देश में जो भी गृहयुद्ध जैसे हालात बन रहे हैं, उसके लिए मुख्य न्यायाधीश जिम्मेदार हैं।”

बीजेपी ने तुरंत किया पलटवार

दुबे और शर्मा के बयानों से भाजपा नेतृत्व बेहद असहज नजर आया। पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी करते हुए कहा:

“सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा न्यायपालिका और भारत के मुख्य न्यायाधीश पर दिए गए बयानों से भारतीय जनता पार्टी का कोई संबंध नहीं है। ये उनके निजी विचार हैं। भाजपा न तो इन बयानों से सहमत है, न ही ऐसे किसी बयान का समर्थन करती है। पार्टी इन बयानों को पूरी तरह से खारिज करती है।”

नड्डा ने आगे कहा,

“भारतीय जनता पार्टी हमेशा से न्यायपालिका का सम्मान करती रही है और उसके फैसलों व सुझावों को खुशी-खुशी स्वीकार किया है। हम मानते हैं कि देश की सभी अदालतें, खासकर सुप्रीम कोर्ट, हमारे लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं और संविधान की रक्षा की एक मजबूत आधारशिला हैं। मैंने दोनों नेताओं को सख्त निर्देश दिए हैं कि भविष्य में ऐसे किसी भी तरह के बयान से बचें।”

इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक और संवैधानिक बहस को एक बार फिर हवा दे दी है। भाजपा द्वारा अपने ही सांसदों पर कार्रवाई की चेतावनी से यह साफ हो गया है कि पार्टी शीर्ष न्यायपालिका के खिलाफ किसी भी तरह के असंवेदनशील बयान को बर्दाश्त नहीं करेगी। - UNA

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