13 अप्रैल 2025 (UNA) : कर्नाटका सरकार ने शुक्रवार को लंबे समय से प्रतीक्षित सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण (जिसे लोकप्रिय रूप से जाति गणना कहा जाता है) रिपोर्ट को मंजूरी दी है, जिसमें राज्य की आरक्षण संरचना में महत्वपूर्ण संशोधन का प्रस्ताव किया गया है|
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पिछड़े वर्गों से संबंधित है। इसके जवाब में, जाति सर्वेक्षण ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की है, जिससे राज्य में कुल आरक्षण 85 प्रतिशत हो जाएगा। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत, और अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए क्रमशः 24 प्रतिशत आरक्षण शामिल है।
नई वर्गीकरण प्रणाली और बदलाव
रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जातियों का नए छह श्रेणी के मैट्रिक्स के तहत पुनर्वर्गीकरण करने की सिफारिश की गई है, जबकि पहले यह केवल पांच श्रेणियों में था। रिपोर्ट के अनुसार, श्रेणी 1 को अब दो भागों में बांटा जाएगा: 1-A और 1-B, और इस श्रेणी में क्रीमी लेयर का अवधारणा भी लागू की जाएगी, जो पहले इसके अंतर्गत नहीं था।
श्रेणी 1-A में विशेष रूप से घुमंतू और सबसे पिछड़ी जातियों को शामिल किया गया है। ये समुदाय पहले श्रेणी 2-A में आते थे, जिन्हें अब 1-A में स्थानांतरित कर दिया गया है। इस श्रेणी को 6 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा, अनाथ बच्चों को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है, जिनकी जाति का निर्धारण नहीं हो पाया है। 1-A की जनसंख्या लगभग 34.96 लाख, यानी राज्य की कुल जनसंख्या का 8.4 प्रतिशत है। वर्तमान में, श्रेणी 1 को कुल 4 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।
यह कदम राज्य के आरक्षण नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है और यह सुनिश्चित करेगा कि पिछड़े वर्गों को ज्यादा समावेशी और समुचित लाभ मिले। - UNA