18 अप्रैल 2025 (UNA) : भारत के संविधान निर्माता और जातीय भेदभाव के खिलाफ आंदोलन के प्रमुख स्तंभ, डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दो प्रमुख नेताओं ने डॉ. अंबेडकर के योगदान को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
संघ प्रमुख (सरसंघचालक) मोहन भागवत ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. अंबेडकर ने जीवन भर हिंदू समाज को एकजुट करने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि अंबेडकर जी ने बचपन से ही कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन फिर भी वे सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय विकास के प्रति समर्पित रहे।
दूसरा बयान आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर की ओर से आया। उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर को संविधान निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारत का शासन संविधान से चलता है और समाज में जो भी मतभेद हैं, उन्हें शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीकों से सुलझाया जाना चाहिए, ताकि एक समरस और संतुलित सामाजिक व्यवस्था की स्थापना हो सके।
इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि आरएसएस अब डॉ. अंबेडकर की विरासत को एक नए दृष्टिकोण से देख रहा है — एक ऐसे नेता के रूप में, जिन्होंने सामाजिक न्याय और एकजुटता के लिए निरंतर संघर्ष किया, और जिनके विचार आज भी समकालीन भारत के लिए प्रासंगिक हैं। - UNA