18 अप्रैल 2025 (UNA) : अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन (WTO) को सूचित किया है कि उसके द्वारा स्टील और एल्युमिनियम आयात पर लगाए गए टैरिफ (शुल्क) राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लगाए गए थे, न कि किसी तरह के सेफ़गार्ड उपाय (Safeguard Measures) के तहत। यह स्पष्टीकरण भारत द्वारा हाल ही में दर्ज कराई गई व्यापारिक शिकायत के सीधे विरोध में आता है, जिसमें भारत ने इन टैरिफ के आधार को चुनौती दी है।
17 अप्रैल को WTO को भेजी गई एक आधिकारिक सूचना में अमेरिका ने स्पष्ट किया कि इन टैरिफ को यूएस ट्रेड लॉ के सेक्शन 232 के अंतर्गत लागू किया गया है। इस कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह उन वस्तुओं के आयात पर रोक या सीमा लगा सकते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।
अमेरिका ने अपने बयान में कहा,
"भारत ने जो WTO में कंसल्टेशन का अनुरोध किया है, वह इस आधार पर किया है कि ये टैरिफ सेफ़गार्ड उपाय हैं। जबकि वास्तव में, राष्ट्रपति ने सेक्शन 232 के तहत ये टैरिफ इस कारण से लगाए कि स्टील और एल्युमिनियम के आयात से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा था, और इस खतरे को कम करने के लिए इन पर शुल्क लगाना आवश्यक था।"
इस मुद्दे में सेफ़गार्ड और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार में अंतर बेहद अहम है, क्योंकि इससे यह तय होता है कि अमेरिका को WTO के अंतर्गत कौन से नियमों और दायित्वों का पालन करना होगा।
भारत का दावा है कि अमेरिका के ये टैरिफ वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन करते हैं और WTO के 'Agreement on Safeguards' के अंतर्गत आते हैं, इसलिए अमेरिका को इस टैरिफ पर उचित मुआवज़ा देना चाहिए या इसे वापस लेना चाहिए। पर अमेरिका का कहना है कि चूंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है, इसलिए यह WTO के सामान्य व्यापारिक नियमों से अलग है।
यह मामला अब WTO में एक अहम कानूनी बहस बन गया है, और आने वाले समय में यह तय करेगा कि सदस्य देश किस हद तक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देकर व्यापार पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। - UNA