नेपाल में राजशाही के लिए बढ़ती लालसा: क्या पीछे लौटना सही रास्ता है?12 Apr 25

नेपाल में राजशाही के लिए बढ़ती लालसा: क्या पीछे लौटना सही रास्ता है?

12 अप्रैल 2025 (UNA) : नेपाल में एक बार फिर से राजशाही के समर्थन में प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं। हाल ही में, 2008 में अपदस्थ किए गए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 19 फरवरी की पूर्व संध्या पर एक भाषण दिया, जो नेपाल में "लोकतंत्र दिवस" के रूप में मनाया जाता है। अपने भाषण में उन्होंने जनता से "देश को बचाने के लिए एकजुट होने" की अपील की। इस बयान ने देश में राजशाही समर्थकों को नया जोश दिया और उन्होंने सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

राजशाही समर्थक लगातार यह तर्क दे रहे हैं कि नेपाल को गणराज्य प्रणाली ने कमजोर कर दिया है। उनका कहना है कि देश में जब राजशाही थी, तब स्थिति कहीं बेहतर थी – न केवल राजनीतिक स्थिरता थी, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था भी अधिक सुदृढ़ थी। वे मानते हैं कि मौजूदा संकटों का समाधान केवल राजशाही की पुनर्स्थापना से ही संभव है।

इन मांगों को वर्तमान समय में तेजी से बढ़ते जन असंतोष का भी समर्थन मिल रहा है। बार-बार की सरकारों की अस्थिरता, बढ़ते भ्रष्टाचार, सरकारी सेवाओं की बदहाल स्थिति, कमजोर होती संस्थाएं, और बेरोजगारी ने आम जनता को निराश कर दिया है। इन कारणों से बड़ी संख्या में नेपाली युवा शिक्षा और रोजगार के लिए विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं।

अब राजशाही समर्थक इसी असंतोष को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि राजशाही के तहत नेपाल को एक बार फिर स्थिरता, विकास और राष्ट्रीय एकता मिल सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि मौजूदा शासन ने शासन व्यवस्था में सुधार नहीं किए, तो यह राजशाही समर्थक आंदोलन भविष्य में और भी बड़ा रूप ले सकता है और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।

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