उत्तराखंड में लागू हुआ समान नागरिक संहिता, इतिहास में दर्ज हुआ नाम UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड09 Feb 25

उत्तराखंड में लागू हुआ समान नागरिक संहिता, इतिहास में दर्ज हुआ नाम UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड

देहरादून(UNA): उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसनेसमान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) को लागू किया है। इसके साथ ही, राज्य ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े नियमों में समानता लाने की दिशा में बड़ा परिवर्तन किया है।

UCC के प्रमुख प्रावधान:

विवाह का पंजीकरण अनिवार्य:अब सभी विवाहों का सरकारी पंजीकरण आवश्यक होगा।

दूसरी शादी पर रोक:पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।

तलाक में समान अधिकार:सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार मिलेगा।

संपत्ति में समान अधिकार:सभी वर्गों की बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

हलाला और इद्दत की प्रथा समाप्त:मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

नाजायज और जायज बच्चों में भेदभाव समाप्त:संपत्ति अधिकारों में सभी बच्चों को समान अधिकार दिया जाएगा।

लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य:लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को कानूनी रूप से पंजीकरण कराना होगा।

कैसे हुई UCC की शुरुआत?

उत्तराखंड सरकार ने UCC को लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसने इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद सरकार ने इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया और पारित कर दिया।

देशभर में हो सकता है असर

उत्तराखंड के इस कदम को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है। ऐसा माना जा रहा है कि अन्य राज्य भी इसी दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। केंद्र सरकार भी इस पर विचार कर रही है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाए या नहीं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

UCC को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी सरगर्मी तेज हो गई है। समर्थकों का कहना है कि यह कानूनएक देश, एक कानून’के सिद्धांत को मजबूत करेगा, जबकि विरोधियों का तर्क है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और परंपराओं में हस्तक्षेप करेगा।

क्या कहती है जनता?

उत्तराखंड के लोगों ने इसे एकऐतिहासिक फैसलाबताया है। खासकर महिलाओं ने इस कानून का स्वागत किया है क्योंकि इससे उन्हें विवाह, तलाक और संपत्ति अधिकार में समानता मिलेगी।

अगला कदम क्या होगा?

अब देखना होगा कि अन्य राज्य भी उत्तराखंड के इस कदम को अपनाते हैं या नहीं। साथ ही, देशभर में UCC को लेकर होने वाली कानूनी और सामाजिक बहस किस दिशा में जाती है, यह भी महत्वपूर्ण होगा।

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रांची नगर निगम ने वाहन पार्किंग व्यवस्था में एक नई पहल की है, जिसका उद्देश्य शहर में पार्किंग की स्थिति को बेहतर बनाना और यातायात को नियंत्रित करना है। अब नगर निगम ने पार्किंग शुल्क की नई दरें लागू कर दी हैं, जो शहरवासियों के लिए अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी होंगी। इसके तहत, पार्किंग की पहली 10 मिनट की अवधि को निःशुल्क रखा गया है, जिससे वाहन मालिकों को थोड़ी देर के लिए पार्किंग करने में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। इसके बाद, 10 मिनट से लेकर 3 घंटे तक, दोपहिया वाहनों के लिए 10 रुपए और चार पहिया वाहनों के लिए 30 रुपए पार्किंग शुल्क लिया जाएगा। इस नई व्यवस्था के तहत यदि किसी वाहन मालिक को कोई समस्या आती है या पार्किंग को लेकर शिकायत करनी होती है, तो वे नगर निगम के कंट्रोल रूम पर फोन करके अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह कदम रांची नगर निगम द्वारा पार्किंग व्यवस्था में सुधार लाने और शहर में यातायात की भीड़ को कम करने के लिए उठाया गया है।