
"ऑपरेशन सिंदूर: प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी, अर्थव्यवस्था पर पड़ा गहरा असर"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक अप्रत्याशित संबोधन में "ऑपरेशन सिंदूर" का उल्लेख किया, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गहरे प्रभाव डालने वाला एक रणनीतिक कदम था। उन्होंने कहा, "कभी-कभी सबसे छोटी चीजें सबसे बड़े परिणाम देती हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखाया कि कैसे एक 'सिंदूर की एक बूँद' – एक छोटी, प्रतीत होने वाली तुच्छ चीज – जब रणनीतिक रूप से संबोधित की जाती है, तो कमजोरियों को उजागर कर सकती है और बड़े आर्थिक परिणाम उत्पन्न कर सकती है।" विशेषज्ञों के अनुसार, इस ऑपरेशन के परिणामस्वरूप भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 42 पैसे गिरकर 84.77 पर पहुँच गया, जो एक महीने में सबसे बड़ी गिरावट है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि भारत की आतंकवाद के प्रति "शून्य सहनशीलता" नीति जारी रहेगी और किसी भी प्रकार के आतंकवादी हमलों का कड़ा जवाब दिया जाएगा। इस संबोधन के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत किसी भी प्रकार के आतंकवादी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा और ऐसे हमलों का कड़ा जवाब दिया जाएगा।
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"ऑपरेशन अभ्यास: शिमला में ब्लैकआउट और सायरनों के बीच आपदा प्रबंधन की तैयारियों की परीक्षा"
7 मई 2025 को शिमला में एक व्यापक नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल 'ऑपरेशन अभ्यास' के तहत आयोजित की गई। शाम 7:20 बजे से 7:30 बजे तक पूरे शहर में बिजली आपूर्ति को जानबूझकर बंद कर दिया गया, जिससे एक वास्तविक आपातकालीन स्थिति का अनुकरण किया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य संभावित आपात स्थितियों, जैसे साइबर हमले, प्राकृतिक आपदाएं, या युद्ध जैसे परिदृश्यों में शहर की तैयारियों का मूल्यांकन करना था। हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPSDMA) के समन्वय में आयोजित इस ड्रिल में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (HPSEB), पुलिस, अग्निशमन सेवाएं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और अन्य आपातकालीन प्रतिक्रिया एजेंसियों ने भाग लिया। शहर में सायरनों की आवाज़ के साथ शुरू हुई इस ड्रिल में नागरिकों को आपातकालीन प्रोटोकॉल का पालन करने, बैकअप सिस्टम का उपयोग करने और समन्वित प्रतिक्रिया देने का अभ्यास कराया गया। यह अभ्यास हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। इस तरह के अभ्यास नागरिकों और अधिकारियों को आपातकालीन स्थितियों में समन्वय और प्रतिक्रिया की प्रक्रिया को समझने और सुधारने का अवसर प्रदान करते हैं।

आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग: संसद और अक्षरधाम हमलों की यादें
हाल ही में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों ने एक वीडियो संकलन प्रस्तुत किया, जिसमें भारत में हुए प्रमुख आतंकी हमलों के भयावह दृश्य दिखाए गए। इस वीडियो का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सतर्कता बनाए रखना और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करना था। वीडियो की शुरुआत 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले से होती है, जिसे भारतीय लोकतंत्र पर एक सीधा हमला माना गया। इस हमले में पांच आतंकवादियों ने संसद भवन में घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों की तत्परता से वे अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सके। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, और यह घटना भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक चेतावनी बन गई।

ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय सेना की सटीक कार्रवाई में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त
7 मई 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के प्रतिशोध में की गई, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारतीय सेना ने बताया कि इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के प्रमुख प्रशिक्षण और संचालन केंद्रों को निशाना बनाया गया। प्रमुख लक्ष्यों में बहावलपुर का 'मरकज़ सुब्हान अल्लाह' और मुज़फ्फराबाद का 'सैयदना बिलाल कैंप' शामिल थे। इस संयुक्त अभियान में भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों ने SCALP मिसाइलों और AASM हैमर बमों का उपयोग किया। ऑपरेशन की अवधि मात्र 23 मिनट थी, लेकिन इसके प्रभाव से आतंकवादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा।

1971 की यादें फिर ताज़ा: जब सरहदी गांवों में गूंजे सायरन और बने बंकर
1971 के भारत-पाक युद्ध की 50वीं वर्षगांठ पर, राजस्थान के सीमावर्ती गांवों के निवासी उन दिनों की यादें ताज़ा कर रहे हैं, जब युद्ध की आहट से पहले ही तैयारियों का दौर शुरू हो गया था। बाड़मेर जिले के रामसर गांव के बुजुर्गों को आज भी याद है कि कैसे सायरनों की आवाज़ सुनते ही वे अपने घरों के पास बने बंकरों में शरण लेते थे। प्राग सिंह सोढ़ा, जो उस समय युवा थे, बताते हैं, "लंबा सायरन खतरे का संकेत होता था, और हम तुरंत बंकरों की ओर दौड़ते थे।" उस समय, गांवों में सेना के साथ मिलकर बंकर बनाना, दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना और समय पर सूचनाएं देना आम बात थी। गडरारोड क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा गिराए गए 16 बमों में से कोई भी नहीं फटा, जिसे ग्रामीण आज भी देवी हिंगलाज माता की कृपा मानते हैं।आज, जब देश भर में मॉक ड्रिल्स के दौरान फिर से सायरन बजाए जा रहे हैं, ये बुजुर्ग अपने अनुभवों को साझा कर नई पीढ़ी को तैयार रहने की सीख दे रहे हैं। उनका मानना है कि सामूहिक तैयारी और जागरूकता से ही किसी भी आपदा का सामना किया जा सकता है।

राजस्थान के 28 शहरों में आज होगा अब तक का सबसे बड़ा मॉक ड्रिल, ब्लैकआउट और सायरनों से परखी जाएगी तैयारियां
राजस्थान के 28 शहरों में आज एक विशाल स्तर की मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है, जिसका मकसद आपदा या आपातकालीन स्थिति में राज्य की तैयारियों की गंभीरता से जांच करना है। इस अभ्यास के तहत कई शहरों में ब्लैकआउट की स्थिति, सायरन की टेस्टिंग और इमरजेंसी रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल को लागू किया जाएगा। जोधपुर, जैसलमेर जैसे शहरों में पहले से ही सायरनों की आवाज़ गूंजने लगी है, जिससे माहौल थोड़ा तनावपूर्ण जरूर हो गया है। यह राज्य का हाल के वर्षों में सबसे बड़ा और समन्वित मॉक ड्रिल है, जिसमें संचार व्यवस्था, रेस्क्यू टीमें और आम नागरिकों की जागरूकता को परखा जाएगा। प्रशासन ने साफ किया है कि यह अभ्यास पूरी तरह प्रशिक्षण के उद्देश्य से किया जा रहा है, और जनता से सहयोग और शांति बनाए रखने की अपील की गई है।

ग्रामीण विकास की नई दिशा: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की भूमिका पर DFS सचिव का ज़ोर
हाल ही में वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव श्री एम. नागराजु ने मुंबई में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) की प्रदर्शन समीक्षा बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में RRBs की परिचालन दक्षता और वित्तीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए चल रही समामेलन योजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन किया गया। श्री नागराजु ने RRBs की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि ये बैंक कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) तथा ग्रामीण जनसंख्या को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने में अग्रणी हैं। उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि वे अपनी स्थानीय समझ और व्यापक पहुंच का उपयोग करके कृषि और सहायक गतिविधियों में ऋण वितरण बढ़ाएं, जिससे ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा मिले। वर्तमान में, 'एक राज्य, एक RRB' नीति के तहत 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 26 RRBs का समामेलन करके 28 स्वतंत्र RRBs का गठन किया गया है। इस पहल का उद्देश्य लागत को तर्कसंगत बनाना और संचालन को सुव्यवस्थित करना है। DFS सचिव ने प्रायोजक बैंकों और RRBs से आग्रह किया कि वे सितंबर 30 तक तकनीकी उन्नयन और एकीकरण प्रक्रिया को पूरा करें, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके।